भारत के क्विक कॉमर्स (Quick Commerce) सेक्टर में हाल ही में Zomato के CEO दीपिंदर गोयल और Zepto के सह-संस्थापक आदित पालिचा के बीच हुई बहस ने काफी सुर्खियाँ बटोरी हैं। इस विवाद का केंद्र Zepto का कैश बर्न (Cash Burn) यानी कंपनी के द्वारा खर्च की जाने वाली राशि रही है। आइए जानते हैं पूरा मामला।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
Zomato के CEO दीपिंदर गोयल ने हाल ही में Economic Times को दिए एक इंटरव्यू में क्विक कॉमर्स कंपनियों के भारी खर्चों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस सेक्टर में मौजूद कंपनियाँ हर तिमाही में करीब ₹5000 करोड़ खर्च कर रही हैं। इसी दौरान उन्होंने Zepto का नाम लेते हुए दावा किया कि कंपनी ने पिछले तिमाही में ₹2500 करोड़ खर्च किए।
गोयल ने कहा –
“हमारा अनुमान है कि क्विक कॉमर्स सेक्टर में कुल खर्च ₹5000 करोड़ प्रति तिमाही है… Zepto ने अकेले ₹2200-2300 करोड़ खर्च किए हैं।”
Zepto के CEO आदित पालिचा का जवाब
Zepto के CEO आदित पालिचा ने गोयल के इस दावे का जोरदार खंडन किया। उन्होंने LinkedIn पोस्ट के जरिए जवाब देते हुए कहा कि:
“दीपिंदर गोयल, जिन्हें मैं एक सफल उद्यमी के रूप में बहुत सम्मान देता हूँ, उन्होंने Zepto को लेकर जो आंकड़े दिए हैं, वे पूरी तरह गलत हैं। यह दावा झूठा है और जब हम अपने वित्तीय दस्तावेज़ सार्वजनिक करेंगे, तब यह साफ हो जाएगा।”
इसके अलावा, पालिचा ने गोयल की तारीफ करते हुए कहा –
“दीपिंदर ने Zomato तब शुरू किया था, जब मैं सिर्फ 5 साल का था। वह भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए एक प्रेरणा हैं।”
क्या है क्विक कॉमर्स सेक्टर में होड़?
इस विवाद से भारत के क्विक कॉमर्स सेक्टर की प्रतिस्पर्धा और उद्योग में हो रहे बड़े खर्चों पर चर्चा शुरू हो गई है। Zepto और Zomato (Blinkit) जैसी कंपनियाँ बाजार में लॉन्ग-टर्म पोजीशन बनाने के लिए भारी निवेश कर रही हैं। हालांकि, इस प्रतिस्पर्धा के चलते कंपनियों के फायदे और नुकसान (Profit & Loss) पर भी सवाल उठ रहे हैं।
आगे क्या होगा?
Zepto 2025 में IPO लाने की योजना बना रहा है, जिससे उसकी वित्तीय स्थिति (Financial Reports) स्पष्ट हो जाएगी। वहीं, Zomato का यह बयान दिखाता है कि कंपनियाँ मार्केट शेयर और मुनाफे को लेकर काफी सतर्क हैं।
🚀 निष्कर्ष
Zomato vs Zepto का यह विवाद भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम की प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है। जैसे-जैसे ये कंपनियाँ आगे बढ़ेंगी, इनकी रणनीतियों और वित्तीय प्रदर्शन पर सबकी नजर बनी रहेगी।
FAQs – Zepto vs Zomato ₹2500 करोड़ विवाद से जुड़े सवाल
1. Zepto और Zomato के बीच विवाद क्यों हुआ?
विवाद तब शुरू हुआ जब Zomato के CEO दीपिंदर गोयल ने दावा किया कि Zepto हर तिमाही में ₹2500 करोड़ खर्च कर रहा है। Zepto के CEO आदित पालिचा ने इस दावे को गलत बताया और कहा कि सही आंकड़े उनकी फाइनेंशियल रिपोर्ट में सामने आएंगे।
2. दीपिंदर गोयल ने Zepto के बारे में क्या कहा?
दीपिंदर गोयल ने Economic Times को दिए इंटरव्यू में कहा कि क्विक कॉमर्स सेक्टर में कंपनियाँ हर तिमाही ₹5000 करोड़ खर्च कर रही हैं और Zepto अकेले ₹2200-2300 करोड़ खर्च कर रहा है।
3. आदित पालिचा ने इसका क्या जवाब दिया?
Zepto के CEO आदित पालिचा ने LinkedIn पोस्ट में जवाब दिया कि यह जानकारी गलत है और Zepto के फाइनेंशियल रिकॉर्ड पब्लिक होने पर सच्चाई सामने आ जाएगी। उन्होंने दीपिंदर गोयल को एक प्रेरणादायक उद्यमी भी बताया।
4. क्या Zepto सच में इतना कैश बर्न कर रहा है?
अभी तक Zepto ने अपने फाइनेंशियल डेटा पब्लिक नहीं किए हैं। लेकिन कंपनी का कहना है कि वह Zomato के दावों से असहमत है और वास्तविक आंकड़े IPO से पहले सामने आएंगे।
5. कैश बर्न (Cash Burn) का मतलब क्या होता है?
कैश बर्न का मतलब है कि कोई कंपनी राजस्व (Revenue) से ज्यादा खर्च कर रही हो। स्टार्टअप आमतौर पर मार्केट शेयर बढ़ाने के लिए शुरुआत में ज्यादा निवेश करते हैं, जिससे उनका कैश बर्न ज्यादा होता है।
6. Zepto और Zomato में कौन आगे है?
- Zomato (Blinkit) के पास पहले से एक मजबूत ग्राहक आधार और डिलीवरी नेटवर्क है।
- Zepto नई लेकिन तेजी से बढ़ती कंपनी है, जिसने 10 मिनट ग्रॉसरी डिलीवरी से बाजार में जगह बनाई है।
भविष्य में कौन आगे रहेगा, यह इनके बिजनेस मॉडल और मुनाफे पर निर्भर करेगा।
7. क्या Zepto IPO लाने की योजना बना रहा है?
हाँ, Zepto 2025 में IPO लाने की योजना बना रहा है, जिससे उसकी वित्तीय स्थिति और अधिक स्पष्ट हो जाएगी।
8. क्या यह विवाद क्विक कॉमर्स सेक्टर को प्रभावित करेगा?
यह विवाद इस सेक्टर में लॉन्ग-टर्म प्रॉफिटेबिलिटी और कंपनियों की वित्तीय स्थिरता को लेकर निवेशकों और उपभोक्ताओं के बीच चर्चा बढ़ा सकता है।
9. Zepto और Zomato की ग्रॉसरी डिलीवरी सर्विस में क्या अंतर है?
- Blinkit (Zomato) – 10-20 मिनट की डिलीवरी, बड़े शहरों में मजबूत नेटवर्क।
- Zepto – 10 मिनट की डिलीवरी पर फोकस, नई तकनीक और तेजी से बढ़ता कस्टमर बेस।
10. आगे क्या हो सकता है?
आगे Zepto अपने वित्तीय आंकड़े जारी करेगा, जिससे स्पष्ट होगा कि Zomato का दावा सही था या नहीं। यह विवाद दिखाता है कि भारत का क्विक कॉमर्स सेक्टर कितना प्रतिस्पर्धी हो चुका है।
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