भारत की संसद कानून कैसे बनाती है ? How to making Law by Parliament of INDIA ?

How to making Law by Parliament of india, भारत की संसद कानून कैसे बनाती है ?

जैसा की हम सभी जानते है कि किसी भी देश कि संसद अथवा राज्यों कि बिधानसभा (Legislature Body) ही अपने नागरिको के लिए कानून का निर्माण करती है, इसी प्रकार भारत में भी भारत कि संसद एवं राज्यों कि बिधान सभा अपने नागरिको के लिए कानून का निर्माण करती है। आज के इस आर्टिकल (Article) में हम जानेंगे की भारत की संसद अपने नागरिको के लिए कानून बनाने के लिए क्या – क्या कदम उठाती है ?

भारत की संसद किसी भी कानून को बनाने के लिए कुछ निश्चित प्रक्रियाओं का पालन करती है, जिनका उल्लेख भारत के संबिधान में किया गया है, कानून बनाने की प्रक्रिया व्यवस्थित होती है, शुरुआत में किसी भी कानून को बनाने से पहले उस कानून के मसौदे (Draft) को बिधेयक के रूप में जाना जाता है। बिधेयकों को कानून बनाने से पहले गहन जाँच और चर्चाओं से गुजरना पड़ता है।

सरकार के कैबिनेट मंत्री एवं अन्य संसद सदस्य, सदन में कानून बनाने के लिए बिधेयक लोकसभा या राज्य सभा अध्यक्ष, के सामने प्रस्तुत करते है, सरकार के मंत्रियो के द्वारा जो बिधेयक बिचार के लिए लाये जाते है उसे सरकारी बिल कहते है। और जो संसद सरकार में मंत्री के पद में नहीं है, सदन के अध्यक्ष महोदय कि अनुमति के उपरांत संसद में बिधेयक प्रस्तुत करते है, और उसे ही प्राइवेट बिल कहा जाता है। प्राइवेट बिधेयको को मंजूर करना है या नहीं इसका फैसला लोकसभा स्पीकर या राज्य सभा के सभापति करते है।

बिधेयको को पेस करने का क्या है तरीका ?

प्राइवेट मेंबर का बिल संसद स्वयं या उनका स्टाफ ड्राफ्ट करते है, जो भी संसद सदन में प्राइवेट बिल प्रस्तुत करना चाहते है, वो कम से कम 01 महीने पहले सदन के सचिवालय में नोटिस प्रस्तुत करते है, सदन का सचिवालय ऐसे ड्राफ्टों कि जाँच करता है कि जो DRAFT प्राइवेट मेंबर द्वारा प्रस्तुत किया है वो संबिधान के प्रावधानों के अनुरूप है या नहीं ? प्राइवेट सदस्यों के बिल में केवल शुक्रवार के दिन ही चर्चा की जाती है। सरकारी बिल को किसी भी दिन सदन में पेस किया जा सकता है और उस पर चर्चा की तक सकती है ।
साधारण बिधेयको को पारित करने की क्या प्रक्रिया है ?

How to making Law by Parliament of INDIA,
Ordinary bill Sansad se kaise pass kiya jata hai ?

  • साधारण बिधेयक को किसी भी सदन में सरकारी या प्राइवेट सदस्य द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है ।
  • जैसा की पहले ही बताया गया है की प्राइवेट सदस्य द्वारा 01 माह की नोटिस के बाद ही बिधेयक प्रस्तुत किया जा सकता है एवं बिधेयक प्रस्तुत करने के पीछे अपना इरादा सदन के अध्यक्ष को बताना पड़ता है एवं प्रस्तुत करने से पहले सदन के अध्यक्ष से अनुमति लेना अनिवार्य है ।
  • बिधेयको के शीर्षक और उनके उद्देश्य को पढ़कर बिधेयक सदन में प्रस्तुत किया जाता है ।
  • साधारण बिधेयको पर तत्काल भी सदन में चर्चा की जा सकती है या किसी और दिन की तिथि भी अध्यक्ष महोदय के द्वारा तय दी जा सकती है ।
  • बिधेयक को सदन के प्रवर समिति को भेजा जाता है, समिति यह जाँच करती है की क्या बिधेयक संबिधान के प्रावधानों के अनुसार है की नहीं ।
  • लोकसभा और राज्य सभा के सहमति से बिधेयक को संयुक्त समिति के बिचार के लिए भेजा जाता है।
  • बिधेयक को जनता की राय जानने के लिए भी प्रसारित किया जा सकता है । ताकि जनता उस बिल के बारे में जान सके और अगर बिल जनता और संबिधान के अनुरूप न हो तो अपना बिरोध सरकार के समक्ष जता सके।
    विशेष
  • साधारण बिधेयक को संबिधान के अनुच्छेद 107 एवं 108 के अनुसार पारित किया जता है ।
  • साधारण बिधेयको को संसद के किसी ही सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है।
  • साधारण बिधेयक अगर निचले सदन यानि लोकसभा में लाया (Introduce) गया है और लोकसभा से पास करके राज्य सभा में मंजूरी के लिए जब लाया जाता है तब राज्य सभा में चर्चा के दौरान राज्य सभा के द्वारा साधारण बिधेयक में परिवर्तन करने के लिए वापस लोकसभा में भेजा जा सकता है।
  • लोकसभा से पारित साधारण बिधेयक को राज्य सभा उक्त बिधेयक को 06 माह से अधिक समय तक नहीं रोक सकता है।
  • संसद के दोनों सदनों से पारित साधारण बिधेयक को राष्ट्रपति महोदय के औपचारिक/आधिकारिक हस्ताक्षर के लिए भेजा जाता है।
  • राष्ट्रपति महोदय के पास बिधेयक को पारित करने या न करने का अधिकार है अगर राष्ट्रपति महोदय को कोई आपत्ति है तो वो उस बिधेयक को दुबारा बिचार के लिए संसद को वप कर सकते है ।

बिधेयको को पारित होने से पहले निम्न चरणों से जरूर गुजरना पड़ता है । How to making Law by Parliament of INDIA, Ordinary bill Sansad se kaise pass kiya jata hai ?

  1. पहला वाचन :- साधारण बिधेयको को संसद में सरकार का कोई मंत्री या किसी अन्य संसद द्वारा सदन में पेश किया जाता है, बिधेयको को भारत के राजपत्र में प्रकाशित क्या जाता है। राजपत्र में बिल का परिचय प्रकाशित किया जाता है उसे ही पहला वाचन कहा जाता है।
  2. दूसरा वाचन :- दूसरे वाचन को सबसे ज्यादा महत्त्व दिया गया है, दूसरे चरण में बिल को सदन उसी उसी दिन या किसी अन्य दिन चर्चा के लिए बिचार कर सकता है ।
    सदन चाहे तो बिल को सदन के प्रवर समिति को भेज सकती है। सदन के अध्यक्ष चाहे तो बिल को संयुक्त समिति के पास भेज सकते है।
    sadan के अध्यक्ष चाहे तो बिल को जनता की राय जानने के लिए प्रकाशित करवा सकते है।
  3. समिति स्तर :-समिति बिल की पूरी तरह से विस्तार पूर्वक प्रत्येक क्लॉज दी जाँच करती है ।
  4. सदन समिति से जाँच करवाने के बाद वापस सदन में उक्त बिल में एक-एक खंड के बारे में चर्चा करती है। हर खंड में सदन में चर्चा और सदस्यों द्वारा मतदान किया जाता है।
  5. तीसरा वाचन :– तीसरे वाचन में संसद सदस्यों द्वारा बिल की स्वीकृति या अस्वीकृति तक ही सीमित है। सदन में उपस्थित अधिकांश संसद सदस्य अगर सहमत होते है तो उस बिल को पारित माना जाता है, किसी बिल को पारित तभी माना जाता है जब संसद के दोनों सदनों से बिल बिना किसी संसोधन से पारित हो जाता है ।

    राज्य सभा

    राज्य सभा में बिधेयक तीन चरणों से गुजरता है

  • लोक सभा द्वारा भेजे गए बिल को पास करे या बिना किसी संसोधन के ।
  • अगर लोकसभा से पास बिल को राज्यसभा बिना किसी संसोधन के पास कर देती है, तब उस बिल को राष्ट्रपति के आधिकारिक हस्ताक्षर के लिए भेजा जाता है
  • अगर राज्य सभा लोकसभा द्वारा भेजे गए बिल में संसोधन करती है, और लोकसभा को पुनः बिचार के लिए वापस कर दे, या बिल को पूरी तरह से ख़ारिज कर दे ।
  • लोकसभा द्वारा भेजे गए बिल में छह महीने तक कोई कार्यबाई न करे और बिल को लंबित रख ले या पूरी तरह से ख़ारिज कर दे तब इसको विवादित बिल माना जाता है , इस सम्बन्ध में राष्ट्रपति महोदय लोकसभा एवं राज्य सभा की संयुक्त बैठक आहूत कर सकते है ।

राष्ट्रपति की सहमति

  • संसद के दोनों सदनों द्वारा या अकेले – अकेले या संयुक्त बैठक द्वारा बिल पास होने के बाद प्रत्येक बिल को राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेजा जाता है जिसमे राष्ट्रपति महोदय द्वारा, उक्त बिधेयक पर अपनी सहमति दे सकते है अगर सहमति दे देते है तब वो बिधेयक क़ानून बन जाता है। राष्ट्रपति अपनी सहमति नही भी दे सकते है, अगर राष्ट्रपति चाहे तो उक्त बिल को वापस संसद के सदनों को पुनः बिचार के लिए वापस कर सकते है। संसद के दोनों सदनों से पास बिल को राष्ट्रपति महोदय केवल निलंबन कर सकते है।

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